ॐ साईं राम
प्रश्न :- गुरुवर्य !! श्री साईबाबा को सदगुरू माने या भगवान या दोनो ही ?
जबाब:- श्री साई चरित्र मे साईबाबा के अत्यंत करीबी म्हालसापती साईबाबा को हमेशा 'गुरुदेव' ही कहते थे क्योंकी साईबाबा ने म्हालसापती को ब्रम्हज्ञान-गुरुमंत्र-उपदेश दिया था । साईबाबा जब ब्रह्म कि तन्द्रा मे जाते तो वे भगवान हो जाते थे और वैसे ही बाते करते थे । ब्रह्म कि तन्द्रा मे ध्येय-ध्यान-ध्याता एकरूप हो जाता हैं । जब वे ब्रह्म कि तन्द्रा से बाहर आते थे तो कहते थे की 'मै आप जैसा साधारण मनुष्य हूँ । कभी कभी साईबाबा अपने गुरु परंपरा कि अपने गुरु कि बाते करते थे और बिना गुरु भगवान प्राप्ति संभव नही कहते । अब जो लोग गुरु परंपरा, सदगुरू पे विश्वास रखने वाले होते हैं वे साई को 'सदगुरू' मानते है और जो गुरु परंपरा , सदगुरू पर विश्वास नही रखते वो साई को 'भगवान' मानते हैं । परन्तु सदगुरू, भगवान से बडा होता हैं, क्योकी बगैर गुरु के भगवान प्राप्ति कतई संभव नही / ब्रह्म की तन्द्रा मे जाना संभव नही ।