जय साईं माँ
गुरु
गु - अर्थात अंधकार ... रु - अर्थात रोशनी
अर्थात गुरु हमें अंधकार में रोशनी दिखाता है
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम भटके हुए मार्ग में भी रोशनी पा सकें .
हम गुरु धारण इसलिये करते है ताकि हम सच्ची राह पर चल सकें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति होवें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम संसार रुपी जाल में न फसें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम किसी का बुरा न सोचें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हमारे कष्टों का निवारण हो सकें .
अर्थात गुरु हमें अंधकार में रोशनी दिखाता है
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम भटके हुए मार्ग में भी रोशनी पा सकें .
हम गुरु धारण इसलिये करते है ताकि हम सच्ची राह पर चल सकें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति होवें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम संसार रुपी जाल में न फसें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हम किसी का बुरा न सोचें .
हम गुरु धारण इसलिए करते है ताकि हमारे कष्टों का निवारण हो सकें .
गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा होता है
शास्त्रों में माँ का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा बताया गया है क्यों की माँ ही मनुष्य की पहली गुरु होती है